Saturday, April 18, 2015

मेरा दोस्त

एक कबूतर रोज़ मेरी खिड़की पर आता है,                      

 बैजु़बानं है पर मानो मुझसे कुछ कहना चाहता है।             

गूटर् गू़ं कर कर के मुझे बुलाता है,        

ना सुनू तो जो़र से पंखः फड़फड़ाता है।                    

मेरे दिए चावल बडे़ शौक से खाता है,                      

पर थोडा़ करीब जाऊं तो झट से उड़ जाता है।             

धीरे धीरे ही सही पर अब डर कम रहा है एक,          

नन्हा सा दोस्त मेरा बन रहा है। 


Thursday, February 27, 2014

Just Dance

Dance when you are happy
Put on your jean, make it snappy

Dance when you are in pain
forget who is watching, just be insane

Dance to break free the muffled sorrow
live today like there is no tomorrow

Dance your fears, dance your emotions
Don't bother yourself with preconceived notions

Dance to bring the fire in you
Dance to meet the liar in you

Dance to the tune of rhythm divine
Dance to purity of gloaming sunshine

lazy dance crazy dance
lungi dance, grungy dance

hopeless dance hapless dance
hunger dance anger dance

Common baby life has no second chance
tap your feet with eternal dance

Monday, January 6, 2014


थक के रुकी हूँ,
या रुक -२ के थकी  हूँ
गुस्से  में अपने,
कई बार फुकी हूँ
चलो छोड़ो, जाने दो अब मुझे,
अपने मन का कर आने दो मुझे
क्या फर्क पढ़ता है,
गर मैं खोयी सी रहूँ
जागे हुए भी सोयी सी रहूँ
नहीं मानूंगी, नख़रे दिखाउंगी
मनाओगे तो भी वापस न आउंगी
हाँ मैं थोड़ी ज़िद्दी हूँ,
पर इस कला में तुमसे पिद्दी हूँ
खोले चली अपने जज़बातों कि पेटी हूँ,
कह लो सनकी मुझे,
आखिर मैं भी कवि कि बेटी हूँ

Monday, August 26, 2013

बिन मौसम बादलों को गरज़ते हुए देखा है
बरसात के लिए मोर् को तरसते हुए देखा है
अपना दुःख  तुम्हारी आँखों से बरसते हुए देखा है
मुझसे क्या छुपाना चाहते हो मेरे दोस्त,
 मैंने तो तुम्हारी मुस्कराहट को भी सिसकते हुए देखा है l

Thursday, December 20, 2012

ये कलयुग है


इंसानियत कबकि मर चुकी है ,
कल भले ही दुनिया का अंत हो ना हो,
लोगों में आक्रोश, मोर्चों में भीड़ जुट रही है,
कल भले ही उसका असर हो ना हो,

ये आख़िर हो क्या रहा है,
मानवियता से अपना नाता खो क्यूँ रहा है,
ख़ुदा की दी हुई ये ज़िन्दगी कितनी ख़ूबसूरत है,
कर्मों से तोल कर देखो तो कितनी बदसूरत है,

बलात्कार हो रहा है हमारी सोच का ,
अभिमान का स्वाभिमान का,
तन के घाव तो फिर भी भर जाएंगे,
मन के ज़ख़्म कैसे भर पायेंगे,

ये युग कलयुग बन गया है,
हर राम में अब रावण बस गया है,
पल पल मरती इस ज़िन्दगी से हमें बचाओ,
सफ़ेद घोड़े पे सवार हाथ में लिए तलवार,
दुष्टों का सर्वनाश करने कल्की अब आ जाओ...अब तुम आ जाओ 

-mighs

Tuesday, October 9, 2012

प्यासे  खड़े साहिल पर ,

डर है डूब जाने से,

आज वो शख्स क्यूँ याद आ गया,

भुला चुके जिसे ज़माने से, 

 

ना झाँक ले मन में कहीं कोई,

छिप जाए दर्द मेरा मुस्कुराने से ,

क्यूँ खोजने लगे, दबे किताबों में,

पत्ते ग़ुलाब के कुछ पुराने से,


जिस ओर कभी रुख न किया,

आज गुज़रे थे कदम उस मैख़ाने  से,

लौट आए खाली हाथ  छलका के अश्क,

अँखियों  के पैमाने से,

 

हाँ हैं हम थोड़े  नादान कुछ पागल हैं ज़रा दीवाने से।    

-mighs :)

Tuesday, September 25, 2012

किसी ने मुझसे पूछा , तू आजकल कहाँ रहती है ?
भूल गयी या आज भी दोस्तों से मिलने की चाह रहती है ?
क्या ज़वाब दूँ उसे, कि हरदम खिलखिलाने वाली मेरी ज़िन्दगी 
ना जाने आज कल क्यूँ मुझसे उदास रहती है ?

ना किसी बात से ख़ुशी मिलती है न किसी बात का ग़म ,
ना ही कोई मीठी याद करती है अब आँखें नम ,
मन के समंदर में न कोई लहर उठती है ,
ना ही कोई चीज़ अब दिल में घर करती है 


क्या सच में मैं  बदल गयी हूँ ,
या इस मतलबी दुनिया की ठोकरें खा कर संभल गयी हूँ 
जो है जैसी भी राह है बस चलते चले जा रही हूँ,
और मन ही मन किसी का कहा गुनगुना रही हूँ,
सुबह होती है शाम होती है,
ज़िन्दगी यूँ ही  तमाम होती है ...........................:)

-Mighs... :)